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Dheeraj Srivastava

Romance Fantasy Inspirational

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Dheeraj Srivastava

Romance Fantasy Inspirational

आँसू

आँसू

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जानते सब धर्म आँसू !

वेदना के मर्म आँसू !


चाँद पर हैं ख्वाब सारे

हम खड़े फुटपाथ पर !

खींचते हैं बस लकीरें

रोज अपने हाथ पर !

क्या करे ये ज़िन्दगी भी

आँख के हैं कर्म आँसू !

जानते सब धर्म आँसू !

वेदना के मर्म आँसू !


आज वर्षों बाद उनकी

याद है आई हमें !

फिर वही मंजर दिखाने

चाँदनी लाई हमें !

सोचकर ही यूँ उन्हें अब

बह चले हैं गर्म आँसू !

जानते सब धर्म आँसू !

वेदना के मर्म आँसू !


साथ थे जो लोग अपने

छोड़ वे भी जा रहे !

गीत में हम दर्द भरकर

सिर्फ बैठे गा रहे !

रोज लेते हैं मजे बस

छोड़कर सब शर्म आँसू !

जानते सब धर्म आँसू !

वेदना के मर्म आँसू !


रोज ही इनको बहाते

रोज ही हम पी रहे !

बस इन्हीं के साथ रहकर

जिन्दगी हम जी रहे !

पत्थरों के बीच रहकर

हो गये बेशर्म आँसू !

जानते सब धर्म आँसू !


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