बरसातें
बरसातें
पहली पहली बारिश की बूँदे।
यूँ ही जमीन पर आने लगी ।
हल्की हल्की मिट्टी की खुशबू ,
दिल के रूह को महकाने लगी ।
फिंजाओ में जैसी मस्ती छाने लगी।
हल्की हल्की बारिश यूँ जमीन पर आने लगी।
कहती है , हवाएं ये मोसम कितना सुहाना हैं।
हर कोई चाहता हैं। इसे बस मेहसूस करना।
कुछ तो खास हैं ,इस बारिश के बूँदो में ।
गिरती हैं जैसे ,कोई नयी धुन हो।
कागज के नाव पर न जाने कितनी यादे सवार हैं।
काश हम उन्हे फिर धुंध पाते किसी किनारे पर ।
तुमसे युही जुड़ जाती हू ऐसी।
टूट जाता है मेरा, दूसरों से वास्ता।
कुछ तो खास है,तुझसे मेरा राब्ता।
यूंही जमीन पर बरसते रहना तुम।
बस इतनी सी ख्वाहिश हैं , मेरी।
आज फिर से भीगना है मुझे इसी बारिश में ।