एक अजनबी
एक अजनबी


एक अजनबी सा, जैसे धूप में बारिश सा।
लहरो जैसा चलता था।
मुड़ता था रेगिस्तान की रेत सा।
समन्दर जैसी गहरी आँखें उसकी,
जैसे पूरी खामोशी उसमें समा जाए।
आवाज उसकी एक नई धुन सी,
बस चारों तरफ सुनाई देगी, प्यार की रागिनी।
चांद सितारों जैसा, नूर उसका।
ठंड के मौसम मैं धूप जैसा, एहसास उसका।
ये हवा अब तू ही बता।
नाम उस अजनबी का।