पहेली ?
पहेली ?
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आँखों में थी धुंधली सी तस्वीर उसकी।
पर वो तो थी एक पहेली सी।
न उसके शहर न घर का पता।
फिर भी ये मन उसे धुडने चला।
ख़ामोशी भरी आँखों में कई राज है उसके।
झुकी नज़रो को आज भी, किसी का इंतज़ार है उसे
कहने को तो कोई रिश्ता नही है तेरा मेरा।
फिर भी एक डोर बंधी है, तेरे मेरे दरमियान।
कभी किसी दिन कही मिल जाए तू मुझे।
बस इतनी सी है, ख्वाहिश मेरी।
कही गुम न हो जाओ तुम।
फिर से एक अनसुलझी पहेली बन के ।