दर्द से यारी
दर्द से यारी
हर संगदिल को दिल का पता बता दिया
जितने बेवफा मिले सबको घर दिखला दिया
सभी ने छोड़ दिया जिस ग़म को खुशी के खातिर
हमें जहाँ भी दिखा, उसे हंस के गले लगा लिया
साथ हो दर्द तभी जीने का मज़ा आता है
ग़म जुदाई का हो तो पीने का मज़ा आता है
छुपा के रख सके जो दर्द को जहन में अपने
ज़ख्मों को सीने का मज़ा बस उसी को आता है
खुशी है बुलबुला एक दिन फूट जाएगा
हंसाया इसने जितना, उतना ही रुलाएगा
हमसफर है सच्चा ग़म ही अपना यारों
जो आया तो अपने साथ लेकर जाएगा
जो फिरते हैं ढूंढते दिल का सुकून दुकानों में
उन्हें नहीं मालूम ये मिलते है सिर्फ अफसानों में
खुशी जो देखनी है सच्ची अगर इनसानों की
कभी दो पल बीता कर आओ तुम मयखानों में
बड़ा सुकून मिलता है अकेले जीने में
छुपा कर रखना कोई आग अपने सीने में
खुरच कर रोज़ हरा करना अपने घावों को
सलाखों सी लाल किसी सुई से फिर उसे सीने में
कई जज़्बात है मगर कुछ कहता ही नहीं
हूँ मैं नाराज़ बहुत पर कभी बिफरता ही नहीं
दबाकर रख लेता हूँ तमाम तिलमिलाहट अपनी
मरा तो यूं हूँ कई बार मगर मरता ही नहीं