फ़र्ज़ निभाना इनसे सीखें
फ़र्ज़ निभाना इनसे सीखें
अनसुलझे सवालों में उलझना मना है
अनजाने लोगों से तो मिलना नहीं मना है
तन्हा तन्हा रहना देखो बात नहीं है सुहाती
बदरी देखो जब भी आती बादल संग ही आती
यूँ एकाकी पन का पन्ना पलट देखना कहाँ मना है
फिर भी देखो देख भाल के साथी चुनना नहीं मना है
रंग बिरंगे जीवन में प्रतिदिन सुख चैन समाये
सुख में बिफरना दुःख में सिकुड़ना ये प्रतिकार बुरा है
अनसुलझे सवालों में उलझना मना है
अनजान लोगों से तो मिलना नहीं मना है
आज नहीं तो कल होगा, होना है सो होगा
लेकिन उसके हो जाने पर ये संताप मना है
मेरी सुनकर मुझसे लड़ लेना लेकिन छोड़ न जाना
शब्द शब्द में मेरे कृतित्व का कुछ कुछ ज्ञान भरा है
इन शब्दों को लेकर के तुम जब समाज में उतरोगे
निपट अजनबी नहीं रहोगे, पल पल उन राहों से गुजरोगे
जिन राहों का अपने लेखन में मैंने अग्रिम अवदान भरा है
शब्द शब्द में मेरे कृतित्व का कुछ कुछ ज्ञान भरा है
अनसुलझे सवालों में उलझना मना है
अनजाने लोगों से तो मिलना नहीं मना है