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Anju Singh

Fantasy

4  

Anju Singh

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वो सावन का झूला

वो सावन का झूला

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हरियाला सावन‌ जब आता

उमंगों की बहार है लाता

आशाओं जैसी रिमझिम फुहार

झूम उठता सारा संसार


सावन के झूलों के साथ 

वो बचपन कहीं बीत गया

उन सुंदर लम्हों के साथ 

वक्त तेजी से फिसल गया


याद आतें हैं वो पल

मन थे कितने निश्चल

नई आस सी मन में जगती थीं

जिंदगी हिचकोले भरती थी


खुशनुमा वह सावन था

जब पेड़ पर झूले पड़ते थे

रिमझिम फुहारों के साथ

हम झूला झूला करते थे


रिमझिम बरसता सावन 

वो झूला और हरियाली

प्रकृति साथ लेकर आती

खुबसूरत सी हरियाली


सावन के आते ही

मेघ करतें शंखनाद 

प्रकृति की हरियाली ओढ़कर

हम खुशी में हो जातें उन्माद


जब पवन मचाते शोर

पंछी उड़ चलें गगन की ओर

पेड़ों पर डालकर झूलें 

लगता गगन को छू लें


सावन के झूलों का मौसम 

अब भी आता जाता है

पर बचपन का वह झूलना

बेहद याद आता है


जिंदगी शायद कुछ नहीं

बस यादों का मेला है

जहां हर समय हर कोई

वक्त के पहिए पर झूला है


काश वही बचपन कोई

फिर से लौटा दे

उन पेड़ों पर झूलना

और झूला दिला दें


भूल गए हम बहुत कुछ

मगर झूला भूलें नहीं

इस तरह कट रही है जिंदगी

सावन है ,झूलें हैं ,पर हम झूलतें नहीं


यादों के झूलें पर झूलती

वो मीठी सी कहानियां

कभी हंसती इठलाती थीं

बचपन की वो निशानियां


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