चाँद -चकोर की प्रेमकथा
चाँद -चकोर की प्रेमकथा
अपनी चांदनी पर , रौशनी पर है अपनी इतना इतराता
बारिश में बादलों की ओट से जगमगाता ,
तूफ़ान उठती इन आजमाती हवाओं संग अठखेलियां करता
गुलशन में तितली सा स्वच्छंद जीवन का रसपान करता ,
यह चाँद,
करोड़ों ख्वाहिशों का हमदम ,
अनगिनत-असीमित ख़्वाबों का ताज माथे सजाता कभी
आज खिसिया कर तन्हाई की गलियों में कहीं गुम है , अभी
चकोर का सपना तो पूरा नहीं हो गया कहीं।
