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Krishna Bansal

Abstract Action Classics

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Krishna Bansal

Abstract Action Classics

जनसाधारण

जनसाधारण

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हम जनसधारण हैं 

आप और मैं जनसाधारण हैं 

जनसाधारण में अंतर्निहित आप और मैं भी हैं 

हम किसी गलतफहमी में न रहें कि हम असाधारण हैं।


हम किसी भी कीमत पर 

इस सोच में न उलझ जाएं कि 

जनसाधारण को रूपांतरित 

किया जाना चाहिए।


मानसिक तौर पर

जनता का रूपांतरण 

असंभव है। 

बुद्धिमता का तकाज़ा यही है कि

हम केवल तत्काल कार्य से वास्ता रखें।

 

हम तत्काल से प्रारंभ करें 

तत्काल के साथ ही सहज हो जाएं।

हमारा कार्य क्षेत्र 

तत्कालिक संसार में है

हमारा परिवार,

हमारे पड़ोसी 

हमारे दोस्त।


आइए 

हम शुरू करें

अपने संबंधों में सचेत हो कर

अपनी कमियों 

अपनी उलझनों 

अपने भीतर के 

अशुद्ध भागों के प्रति 

जिनसे हम अज्ञान हैं 

सचेत होकर।


 

यकीनन 

आप और मैं युद्ध नहीं रोक सकते 

न ही राष्ट्रों के बीच 

तत्कालिक समझ 

पैदा कर सकते हैं 

इतना तो कम से कम 

हम कर ही सकते हैं


तत्कालिक दुनिया में 

रोजमर्रा के संबंध में 

मूलभूत बदलाव 

सद्भावना  

भ्रातृ भाव तथा साहचर्य पैदा कर

बदलाव ले आएं।


व्यक्तिगत प्रबोधन 

किसी भी बड़े समूह को प्रभावित कर सकता है। 

स्वयं का रूपांतरण संभव है।


क्या फर्क पड़ता है 

हम जो भी हैं 

हैं तो हम इन्सान ही

रंग कोई भी हो 

काला, ब्राउन, सफेद या फिर बैंगनी 


धर्म कोई भी हो 

हिंदू मुस्लिम या फिर ईसाई 

कहीं के भी हो

न्यूजीलैंड निवासी 

भारतीय 

अंग्रेज या फिर अमेरिकी 

हैं तो हम जनसाधारण 

और सारी मानवता के लिए उत्तरदायी हैं।


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