तकिया
तकिया
मैं हूँ तकिया, तुम्हारा साथी।
पर कैसे ? सोचो, सोचो....
जब तुम थक जाते हो,
मैं ही तुम्हें सुकून देता हूंँ।
मेरी गोदी में तुम लेट जाते हो,
अपनी थकान मिटाते हो।
मैं हूँ तकिया, तुम्हारा साथी।
जब गम में मुझसे लिपटकर, घंटों आँसू बहाते हो,
तुम्हारे आँंसुओं से मैं भी भीगता हूँ।
जब तुम शरारतें करते हो, लड़ते हो,
मैं तुम्हारा खिलौना बन कर तुम्हारे साथ
तुम्हारीे शरारतों का भागीदार बन जाता हूँ।
जी हाँ,मैं हूँ तकिया, तुम्हारा साथी।
जब कभी तुम शरमाते हो,
कभी मेरे पीछे छिप जाते हो, कभी मुझ में चीजें छुपाते हो।
एक पर्दे की तरह, मैं तुम्हारे भाव छिपाता हूँ।
क्योंकि मैं तुम्हारा तकिया हूँ।
अरे हाँ! जब कभी हॉरर फिल्म देखते हो,
मुझे साथ ले कर बैठते हो,
डर के आगे मैं तुम्हारी ढाल बन जाता हूँ।
और तो और,
प्रेमी अकेली रातों में, मुझे ही सीने से लगा लेते हैं।
प्रेमी को याद कर, मुझे ही हाल-ए- दिल सुना देते हैं।
तुम्हें मेरे बगैर नींद कहाँ आती है, कभी सर के नीचे लगाना,
कभी मोड़कर आराम फरमाना।
कभी पैरों के नीचे रखकर, कभी उनके बीच लेकर,
अपनी दिन भर की थकान मिटाना।
कभी मुझ पर हाथ रख कर सुख-दुख के किस्से बताना
और फिर मेरे साथ चैन की नींद सो जाना।
तो सच कहा ना ? हूँ ना, मैं तुम्हारा साथी, तुम्हारा तकिया।