आप तो हो बस आप-से
आप तो हो बस आप-से
आँखों में चमक और भीनी-सी मुस्कान लिए,
आप इस क़दर छा गए ।
सब उलझा हुआ सुलझने लगा,
सर, जबसे आप आ गए ।
वो पहली conference से आज तक,
कितने ही कहे-अनकहे किस्से हैं।
आपका डाँटने का अंदाज़ हो
या नाराजगी ज़ाहिर करना (जब आपको बोला है तो
आप दूसरे को क्यों forward करने का सोच रहे हो,
आपको बोला है आप कीजिए)
किसी बात के लिए ना कहना हो (आज मैं how to say no पढ़कर आया हूँ)
या समय से न आने पर
अपने ही अंदाज़ में कुछ कह जाना।
(welcome आप late नहीं हैं, अभी खाना start नहीं हुआ है)
आपके बारे में बहुत कुछ बयां करता है।
हमारे मासूम से सवालों से परेशान होना,
फिर, कहे-अनकहे सुझाव देना।
दो बूंद ज़हर की पिलाकर,
फिर उसके फ़ायदे गिनवा देना।
मधुर गीत-से अपने लफ़्ज़ों से,
सबके दिल को छू जाना।
सबकी मनःस्थिति भाँप,
जादूगर की भाँति अपने शब्दों का जादू चलाना।
हर स्थिति में adventure ढूंढ,
विघ्नों को चुटकियों में उखाड़ देना।
खुद की क्षमता को हम जाने,
तो कठिन कार्य कुछ दे देना।
Comfort zone से निकाल बाहर,
हमको हम से मिलवा देना।
हम एक पत्थर थे, तराशा आपने,
अपने ही अन्दर छिपे बैठे थे, बाहर निकाला आपने,
गुम थे अंधेरों में, रोशनी दिखाई आपने,
खड़े थे कहीं भीड़ में, नया नाम दिया आपने।
जब भी लड़खड़ाए, सँभाला आपने,
हर बार भीनी-सी मुस्कान से स्वागत किया आपने,
बेझिझक हर बात कहने का हौंसला दिया आपने,
पिछली पंक्ति में खड़े थे, हमको आगे बढ़ाया आपने।
हाथ थाम कर, उलझनों को सुलझाया आपने,
इतना स्नेह दिया सभी को,
चन्दन के वृक्ष-सा महकाया आपने।
बातों-बातों में आपका चुटकियाँ लेना,
फिर अपने किस्से साझा कर देना,
कभी कुछ अनकहा कह देना,
फिर उसे fantasy या imagination का नाम दे देना।
(ऐसा कुछ नहीं है, just imagination, fantasy nothing like that exist,
sir I still trust your words...... 500%)
कैसे भुला सकते हैं हम,
आपके साथ ठहाके लगाना,
और खुद कुछ कहकर उलाहना हमें दे देना। (ये उन दिनों की बात है जब ......)
सचमुच सर, बीता हुआ हर पल बहुत याद आएगा।
कोई ratio हो या cup of hard wax
या आँसू की एक बूँद का हटाना ।
(आपकी आँख के नीचे आँसू की एक बूँद है,उसे पौंछ लीजिये)
बिन माँगे सबकुछ दिया आपने, हम कैसे कर्ज़ चुकाएंगे ?
अपने मासूम सवालों से किसे अब परेशान कर पाएंगे ?
गीत नगमे हम अब कैसे गुनगुनाएँगे ?
भरोसा भरपूर कर किससे खुलकर बतियाएँगे ?
कभी चाय की चुसकियों में,
कभी इन गलियारों में,
आपका चेहरा ढूँढा जाएगा।
सर, बीता हुआ हर पल बहुत याद आएगा।
सागर–सी आँखों की गहराई में,
न जाने कितने अफ़साने छिपा रखे हैं,
कल आज और कल में,
एक किताब बना बैठे हैं।
हर अफ़साने को बेपनाह इज़्ज़त से संभालकर रहते हैं।
आपके बारे में और क्या लिखूँ?
आगे कौन होगा ऐसा, ज़रा ये भी बतला देना,
कौन हमें समझाएगा ? ये भी ज़रा समझा देना।
जिसने भी जाना आपको,
सिर्फ़ तारीफ़ों के पुल बाँधे।
जिससे भी ज़िक्र सुना, आप ही बस रहे आगे।
कभी समुद्र की गहराई-से, कभी हिमालय की ऊँचाई-से,
कभी पर्वत की दृढ़ता-से, कभी लहरों की तरंगों-से,
कभी चाँद की शीतलता-से, कभी सूरज के ताप-से,
बहुत रूपों में देखा आपको, क्या-क्या लिखूँ?
सर, आप तो हो बस आप-से,
आप तो हो बस आप-से।
