STORYMIRROR

Hemlata Hemlata

Abstract Children

2  

Hemlata Hemlata

Abstract Children

बचपन

बचपन

1 min
134

वो डाँट, वो प्यार, वो गुस्सा, वो तकरार, 

सब याद आते हैं, जब मिलते हैं बिछड़े यार।

वो शरारत, वो गुस्ताखी, वो हया, वो रुसवाई, 

छिपकर बैठी थी कितने किस्मों की गहराई।

वो कुबूल करना, वो बताना,

गुज़रे जमाने का कोई राज़ बतियाना, 

फिर से उसी दुनिया में खो जाना, 

फिर याद आए, बचपन का वो ज़माना।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract