बचपन
बचपन
वो डाँट, वो प्यार, वो गुस्सा, वो तकरार,
सब याद आते हैं, जब मिलते हैं बिछड़े यार।
वो शरारत, वो गुस्ताखी, वो हया, वो रुसवाई,
छिपकर बैठी थी कितने किस्मों की गहराई।
वो कुबूल करना, वो बताना,
गुज़रे जमाने का कोई राज़ बतियाना,
फिर से उसी दुनिया में खो जाना,
फिर याद आए, बचपन का वो ज़माना।