तेरा अहसास
तेरा अहसास
जब बूँद गिरी इस धरती पर, तब मिट्टी के सौन्धेपन में
तेरे प्यार की खुशबू ही थी ।
जब पत्तों की सरसराहट हुई, तब उनकी हर आवाज़ में
तेरी कही हर बात ही थी ।
जब ओस गिरी हरी दूब पर, तब ओस की उस बूँद में
तेरे प्यार की चमक ही थी।
जब चली पूर्व से पुरवाई, तब उस हवा के झोंके में
तेरे प्यार की छुअन ही तो थी।
गर्मी की तपती धूप ने, जब जला दिया इस धरती को
तेरे प्यार की चुभन ही थी।
जब भरी महफ़िल से दूर खड़ी, तन्हाई में अपनी गुमसुम थी
तब मेरी उस तन्हाई में, तेरे प्यार की महफ़िल ही थी।
जब भौर हुई और आँख खुली, तब भौर की हर उस किरण में
तेरे प्यार की आभ ही थी ।
जब भी डबडबाई ये पलकें, तो पलकों के झुरमुट में
तेरे प्यार की कसक ही थी ।
जब दिन ढला और रात हुई, रात की उस विरह वेदना में
तेरे प्यार की याद ही थी।
जब-जब इस तन ने साँस भरी, मेरी हर उस साँस में
तेरे नाम की आस ही थी ।
जब-जब यह दिल धड़का है, दिल की हर उस धड़कन में,
तेरी मौजूदगी ख़ास ही तो थी ।
जब छोड़ गए तुम मुझे अकेला, मेरे उस अकेलेपन में
तेरी दुआ की बरसात ही थी ।