B. sadhana

Drama Fantasy Inspirational

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B. sadhana

Drama Fantasy Inspirational

अंत आरंभ है।।

अंत आरंभ है।।

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 ऐसा कौन सा गुनाह किया है मैंने ?

कौन सी पाप की सजा है मेरी बता।।

ना जाने कितने दिन बीत गए मुस्कुराकर

जाने कितने बरसों पहले की बात थी ।।


ऐसा कौन सा पाप हुआ मुझसे न जाने 

एक पल ऐसे नही जब आंखों से आसू ना बहे

हर दिन हार की स्वागत करते गुजरे साल

कोई मेहनत रंग न ला पाए इस जीवन को।


कदम रूखे नही आगे बड़े नही 

ना दूरी बड़ी है, नाही दूरी गटी है।।

मौसम बदला, नया साल आया 

मगर चाइन के एक सास न आपया।


ना हालत बदले ना मैंने लड़ना चौड़ा

उम्मीद तो थी पर अभी और इंतजार 

करना अब नही हो पाएगा मुझसे,

यह नहीं की मैं तक चुकी हु,

बस हालात और ताकतवर बन गए हैं।।


कांटो से भरे रास्ते हर दिशा में फैले,

कोई भी रास्ता मुझे आगे की और न 

ले जा पाया है,नाही मुड़के पीछे जाने दिया

आज तक यह जिंदगी है उलझी पहली।।


ना खिल पाई मैं ना मुरझाई कभी

 महीनों का फासला सालों में बदल गया

मेरी मंजिल की दूरियां हर पल बढ़ते रहे

अंधेरा जैसे घर बस आ गया जीवन में।।


ना कोई समझने वाले,नाही समझाने वाले

ना कोई हाल पूछने वाले,न आसू पोछने वाले,

इस दुख: बरी कहानी की न कोई 

अंत है नहीं कोई आरंभ, अंत आरंब है

आरंभ अंत है यह उलझन सुलझी न कभी।


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