आखरी अलविदा
आखरी अलविदा
महफिल सजा आज खुशियों का,
चमकती छम छम रोशनी चारों ओर
लहराता ख्वाबों का पतंग हर ओर,
खिलती कमल सा नूर सजा है अंगना में।।
चंदन की महक से प्रफुल्लित हर कोना,
कण कण में आज पाई है खुशी की पूंजी
ना जाने क्यों फिर भी मन विचलित है ,
कोई खुशी मुझे खुश नहीं कर पाई ।।
हर ओर खुशी मनाई जा रही थी,
पर एक मेरा मन है जो दुखी है।।
क्यूं है नहीं जानती मैं, पर फिर भी
मन मचल उठा, बेचैनी फैली हुई है।।
बस मुझे उस पल का इंतजार रहा
जो एक बार में आए, और हमेशा के
लिए मुझे अपने साथ लेकर जाए
इस एक लम्हे के लिए तरसता मन मेरा।।
एक बार कह दूं आखरी अलविदा,
कह दूँ एक बार आखरी अलविदा।।