जादुई पैन।
जादुई पैन।
एक बार,
एक छोटी बच्ची,
करने लगी,
पढ़ने वाला कमरा साफ,
थोड़ी देर बाद,
थक हारकर बैठ गई,
पंखा चलाया,
एक पुराना संदूक,
था खोला,
उससे कागज उड़े,
और नीचे,
एक पैकेट निकल आया,
देखकर इसको,
लड़की पड़ी असमंजस में,
लेकर गई,
अपनी दादी के पास।
दादी ने बोला,
ये क्या,
लड़की ने सारी,
बात कह सुनाई।
दादी भी थोड़ी घबराई,
पैकेट हाथ में लेकर,
लगी टटोलने।
लेकिन कुछ समझ न पाई,
आखिर बात,
खोलने पर आई।
पहली तह उतारी,
उसमें थी,
लड़की के दादा जी की,
वीरता की कहानी।
वो गये थे,
लड़ने महायुद्ध,
जीता था परमवीर चक्र,
दादी समझ न पाई,
बच्ची ने तुरंत पढ़ा,
लिखा था,
मिलेगा वीरता के लिए पुरस्कार,
लेकिन दादी को नहीं थी,
मालूम ये बात।
तुरंत बच्ची ने किया,
दिए हुए आईडी पर मेल,
मिल गया चैक,
बन गई दादी सेठ।
फिर अगली तह खोली,
पाया एक निमंत्रण,
आ जाओ श्रीनगर,
आपका है स्वागतम,
दोनों दादी पोती,
गई श्रीनगर,
घूमी डल लेक और लाल चौक।
फिर खोली अगली तह,
निकला एक,
जादुई पैन।
ये था एक शक्तिशाली कंप्यूटर,
जैसे ही सवाल आता,
इसको पेज पर रखती,
सवाल का हल निकल आता।
लेकिन नीचे लिखी थी,
एक गुड़ी बात,
मत करना इसका दुरुपयोग,
वरना सब कुछ हो जाएगा नष्ट।