सबसे परिश्रमी
सबसे परिश्रमी
जब महामारी फैली,
दुनिया में मची त्राहि त्राहि,
हर कोई,
एक दुसरे को छुने से,
घबराता था।
यहां तक की निकट जाने से भी,
डरता था,
सोशल डिस्टैंसिंग रखता था,
तब आए हमारे,
फ्रंट लाइन वारियर्स,
सबके काम।
इन्होंने खुद को,
जोखिम में डाला,
परंतु होंसला नहीं छोड़ा।
जब तक होती थी आस,
ये रहते थे,
आस पास।
इनमें भी,
सबसे अधिक,
नर्सों का था संघर्ष।
मालूम था,
ये जो पहनी है किट,
नहीं सौ प्रतिशत सुरक्षित।
फिर भी डटी रहीं,
हर मोर्चे पर,
दिन रात,
सबकुछ छोड़ छाड़।
बस एक ही होता था ध्येय,
हमारा मरीज बचने पाए।
कईयों का तो,
ऐसा था हाल,
घर भी नहीं था,
जाना नसीब।
बस वीडियो काल लेती थीं कर,
इसी से बच्चे और पति भी खुश,
स्वयं भी मन थी मारती।
ऐसी थी,
हमारी नर्सों की,
महामारी में कहानी।