आखिरी अलविदा
आखिरी अलविदा
कैसे कहूं , किससे कहूं
जो दिल में है समा मेरे ।।
जो उलझन है ,इसे कैसे
सुलझाऊँ मै,कैसे सुलझाऊं मै।।
कोई तो तरीका होगा,
कोई तो तरीका होगा।।
जो मुझे इस मुसीबत से निकालेगा,
कोई तो तरीका होगा।।
कैसे कहूं ,किससे कहूं,
जो दिल में है उलझन है मेरे
इसे कैसे सुलझाउ मै।।
कोई तो रास्ता होगा,थक गई हूं मै,
अब और सेहन नहीं होता मुझसे।।
सारी उम्मीदें टूट गए मेरे,
अब जोड़ने से भी डर लगता है मुझे ।।
कई दुबारा बिखरे तो समेट नहीं पाऊंगी मै,
अब कोई उम्मीद रहा नहीं ज़िंदा।।
ऐसा कोई तो होगा ,जिससे केह पाऊंगा
मै अपना दिल की बात ,कोई तो होगा।।
हालात इस तरीके से बिगड़ गए कि
सुधार ने का सोच भी डरावना लग रहा।।
तरस गए मेरे आंखे,तरस गए मेरे आंखे,
एक वक्त सुकून पाने के लिए।।
आब उनमें इतनी ताकत नहीं रही
की वो आंसू बहा सखे,सुख गए सारे आंसू।।
मन में हजार सवाल है,
जिनके कोई जवाब नहीं है,
और अब ढूंढने का दिल नहीं करता।।
और हिमत नहीं रही मुझमें,
कोई उम्मीद नहीं जिंदा।।
कैसे कहूं किस से कहूं दिल की बात
अब कोई उम्मीद नहीं ज़िंदा।।
बस एक लफ्ज़ बच गई है, जिसे कहने से
यह कहानी होगी पूरी,और वो है अलविदा।।
एक आखिरी अलविदा और खत्म कहानी।
अलविदा,अलविदा ,अलविदा ,अलविदा।।