माँ रोए जा रही थी... एक अंत हुआ था... एक नए आरम्भ के लिये। माँ रोए जा रही थी... एक अंत हुआ था... एक नए आरम्भ के लिये।
मैं तपिश हूँ गर्म हूँ, ठंडा हुआ तो राख हूँ, आदि मैं ही अंत मैं, जलता रहूँ मैं आग हू मैं तपिश हूँ गर्म हूँ, ठंडा हुआ तो राख हूँ, आदि मैं ही अंत मैं, जलता रह...
निर्भर है लक्ष्य के ऊपर वैसी ही मंजिल पा जायेगी । निर्भर है लक्ष्य के ऊपर वैसी ही मंजिल पा जायेगी ।
अंत ही आरंभ है सृष्टि का प्रारंभ है समय की पुकार है अंत ही आरंभ है! अंत ही आरंभ है सृष्टि का प्रारंभ है समय की पुकार है अंत ही आरंभ है!
या कि उठा लेंगे, कुदा या कि उठा लेंगे, ...
आरंभ तुम ही मेरा अंधी मेरा मां है सारे दुखों हर लेती है सारे काम कर लेती है। आरंभ तुम ही मेरा अंधी मेरा मां है सारे दुखों हर लेती है सारे काम कर लेती है।