निर्भर है लक्ष्य के ऊपर
निर्भर है लक्ष्य के ऊपर
बसंत की हरियाली यदि मन को मोह जाती है ,
तो पतझड़ आशा के लघु दीपों को बो जाती है ,
उगता सूरज प्रतीक है जीवन के आरम्भ का ,
तो सूर्यास्त सीख है नश्वर जीवन के अन्त का ,
उदित किरण यदि आभा है
दिन के प्रकाशित प्रतिबिंब का ,
तो रात का अंधियारा प्रेरणा स्रोत है
अन्तर्मन ज्योति के अभिलम्ब का ,
जीवन के हर आयाम का अपना अलग पहलू है ,
नजरों को जैसी दृष्टि दोगे वैसा ही देखेगी ,
निर्भर है सोच के ऊपर उसी अनुसार जीवन जीयेगी ,
जिन्दगी में धूप छाँव का संगम है ,
कभी गले लगायेगी तो कभी निगाहें फेर जायेगी ,
अथाह सागर है खुशियों का चारो ओर
निर्भर है स्वयं के निष्कर्षों पर ,
या तो जिन्दगी डूबेगी या फिर तैर जायेगी ,
जीवन के हर क्षण का अपना अलग अस्तित्व है,
जिन्दगी को जैसा पथ दोगे वैसे ही कदम बढायेगी,
निर्भर है लक्ष्य के ऊपर वैसी ही मंजिल पा जायेगी ।