असंख्य अन्तर्द्वन्द
असंख्य अन्तर्द्वन्द
स्वयं की खोज करता
स्वयं का अंश
असंख्य अन्तर्द्वन्द को
चीरता मस्तिष्क
शन्काओ से भरा
हाथ में कमण्डल
ह्रदय को भेदता
प्रश्न चिन्हों का तीर
अपेक्षाओं के छोर में
बंधे मोह की मोहरें
शरीर की शाख पर
पकते भ्रम के कन्दमूल
भोग विलास के चबूतरे पर
पाखंड का हवन करता
मन का पुजारी
असत्य के घन्टा
पर चढी कुकर्म की पीताम्बरी
असाध्य व्याधि से ग्रसित
जीवन के लक्ष्य
मृत्यु शैय्या पर पड़ा
सुविचारों के प्रवाह का तन
पतन के पाषाण पर
सिर पटकता व्यक्तित्व
इन अनगिनत वाद विवादों के मध्य
जीवन का बुद्ध बनकर
आत्मा की समाधि
तक प्रस्थान का मार्ग
क्या सम्भव हो सकेगा ??