खास
खास
कैसे कह दूँ तू कितनी खास है
तुझ संग बीते हर लम्हें मेरा सांस है
कैसे कहूं तू कितनी ख़ास है
जो ना समझे वो दिल राज़ है
तेरी आंखों में बसा मेरा ख़्वाब है
बस कह दे तू जो वो सारे जज़्बात है
बिन धड़कन भी तेरे संग एक जां है
कैसे कह दूं तू कितनी ख़ास है
ये अहसास भी अटपटा बड़ा बेहया है
तेरे होठों को चूमता मेरे हर्फ मुकम्मल जहान है
कैसे कह दूं तू कितनी ख़ास है
टूटा सबब भी एक हमराह है
तुझसे हो ये हवा भी मदमस्त जवां है
रख ले जो तुं हाथ कुचले निगाह पे मेरी
बन छलक जाएं इक जमजम धार है
कैसे कह दू तू कितनी ख़ास है
तुझ संग बीते हर लम्हें मेरा सांस है
कैसे कहूं तू कितनी ख़ास है
जो ना समझे वो दिल राज़ है
तेरी आंखों में बसा मेरा ख़्वाब है
बस कह दे तू जो वो सारे जज़्बात है
बिन धड़कन भी तेरे संग एक जां है
कैसे कह दूं तू कितनी ख़ास है।

