होंठ है यह गुलाब सा, इनसे पंखुड़ियों को जरा बिखरने दो जाना होंठ है यह गुलाब सा, इनसे पंखुड़ियों को जरा बिखरने दो जाना
एक.. मन भर बिखरने को, और एक.. जी भर..संभलने को एक.. मन भर बिखरने को, और एक.. जी भर..संभलने को
बस मुझे परवाह है मेरी दुनिया मेरे परिवार की जिसके बिखरने के अहसास भर से घबराती हूँ बस मुझे परवाह है मेरी दुनिया मेरे परिवार की जिसके बिखरने के अहसास भर से घबरा...
माँग लेना उनसे शाम का अखबार वाला कुछ समय माँग लेना उनसे शाम का अखबार वाला कुछ समय
सब्र ऐ उम्मीद का बांध तेरे बाजुओं में टूट कर बिखरने को सब्र ऐ उम्मीद का बांध तेरे बाजुओं में टूट कर बिखरने को
अब इस दुनिया से दिल उकता गया मेरा, बेगानों से ना उनसे गिला-शिकवा है मेरा। अब इस दुनिया से दिल उकता गया मेरा, बेगानों से ना उनसे गिला-शिकवा है मेरा।