बिखरता आशियाँ।
बिखरता आशियाँ।
देखो-देखो कैसे बिखरता आशियाँ मेरा,
बिखरने के बाद जल रहा आशियाँ मेरा।
मरीज़-ए-इश्क़ का नहीं कोई रक्षक मेरा,
इस मर्ज़ की दवा ना लाइलाज़ मर्ज़ मेरा।
ख़ुद किया हाल-बेहाल पूछते है मर्ज़ मेरा,
दावत-ए-इश्क़ से बच ना पाया दिल मेरा।
अब इस दुनिया से दिल उकता गया मेरा,
बेगानों से ना उनसे गिला-शिकवा है मेरा।
जिन्हें अपना समझ के दिल दिया था मेरा,
रब जी संगदिल रिश्ता-ए-दिल तोड़ा मेरा।
बिखरते आशियाँ को देखना ज़रूरी है मेरा,
गुज़ारिश ख़ुदा से तोड़ दे जीवन-बधंन मेरा।