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Amit Kumar

Inspirational

4.5  

Amit Kumar

Inspirational

पिता

पिता

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तुम जीवंतता क, मिसाल थे 

तुम बेहतर और बेमिसाल थे। 

तुम रहते थे, अपनों से घिरे हुए 

मेरे पापा, तुम तो कमाल थे। 


तुम थे ब्रह्मा सम जीवनदाता 

तुम थे बिष्णु से पालनकर्ता। 

जब साथ में पापा होते थे 

तब नहीं किसी का भी डर था। 


जब बच्चों की चिंता होती 

तो दुःख के लिए महाकाल थे। 

तुम रहते थे, अपनों से घिरे हुए 

मेरे पापा, तुम तो कमाल थे। 


ना नरम बनने का ढोंग किया 

ना गरम बनने का अभिनय। 

सम भाव में जीवन जी डाला 

ना अहंकार, ना करुण विनय। 


हमको सब कुछ लाकर देते 

चाहे खुद कितने बेहाल थे। 

तुम रहते थे, अपनों से घिरे हुए 

मेरे पापा, तुम तो कमाल थे।


सदा बड़ों का मान किया 

हर हाल म

ें बस सम्मान दिया। 

मुझको संस्कार सिखा डाले 

मर्यादा का अमृत भी दिया। 


तुम ऊँचे थे अम्बर जितने 

और गहराई में पाताल थे। 

तुम रहते थे, अपनों से घिरे हुए 

मेरे पापा, तुम तो कमाल थे।


अब सफर में शव के पार में हो 

फिर भी कृपा बहाते हो। 

जब भी मैं भोजन करता हूँ

मेरे साथ में भोजन खाते हो। 

अक्सर रामायण सुनते हो 

और शांत और हो जाते हो। 

जब, दुःख की धुप जलाती है 

तो बादल बन छा जाते हो। 

अब भी जब संशय पलता है 

जब दिल बैठा सा जाता है 

तब मेरी सोच में आकर के 

संयम-हिम्मत दे जाते हो। 


अब भी है मुझमे ,वो हिम्मत 

जिसको पाकर हम निहाल थे। 

तुम रहते थे, अपनों से घिरे हुए 

मेरे पापा ,तुम तो कमाल थे।


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