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Amit Kumar

Tragedy Inspirational

4.0  

Amit Kumar

Tragedy Inspirational

तुम्हें क्यों साथ लूंगा मैं

तुम्हें क्यों साथ लूंगा मैं

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अभी मैं रास्ता ढूँढूँ तो तुम ना साथ देते हो, चलूँगा रास्तों पे जब तुम्हें क्यों साथ लूंगा मैं। 

अभी तारीफ़ के दो बोल ना तुम बोल पाते हो, तो पाऊँगा प्रसिद्धि जब तुम्हें क्यों साथ लूंगा मैं। 

कभी हँसने की कोशिश में ज़रा ना मुस्कुराते हो, तो जब नाचूंगा हंस कर के तुम्हें क्यों साथ लूंगा मैं।

मेरे कुछ याद करने में जो तुम ना शांत होते हो, तो जब बोलूंगा खुल कर के तुम्हें क्यों साथ लूंगा मैं।

मेरी हर बात का मतलब जो नामाकूल समझोगे मेरी बातों की महफ़िल में तुम्हें क्यों साथ लूंगा मैं।

कभी ना हों उम्मीदें जो ज़रा भी तुमसे राहत की तो फुर्सत के पलों में भी तुम्हें क्यों साथ

लूंगा मैं।

मैंने मांगी है कुछ मोहलत जो करने को सफर तुमसे जो उसमें भी हो तुम गुस्सा तुम्हें क्यों साथ लूंगा मैं।

मेरी थकने की हलचल को जो तुम ना सुन ही पाते हो, तो जब खेलूंगा मैं पारी तुम्हें क्यों साथ लूंगा मैं। 

ज़रा सोचो, ज़रा समझो मेरी हर बात का मतलब जो ये भी ना समझ पाए तुम्हें क्यों साथ लूंगा मैं।

                                                 


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