जाने वो कौन हैं
जाने वो कौन हैं
जाने वो कौन हैं
जो हमको सता जाते हैं।
बेवजह हम पे ही
खुद को जता जाते हैं।
मांगते रहते हैं
सभी ख्वाहिशें मेरे घर पे ,
और फिर घर को मेरे
खंडहर सा बता जाते हैं।
जाने वो कौन हैं
जो हमको सता जाते हैं।
मोहरा बन कर के कभी
कोई सकूं पाते हैं ?
बे ख़याली में तरस
खुद पे ही जो खाते हैं।
ऐसे बदमाश है
कुछ लोग मेरे मोहल्ले में
ज़ख्म आया की बस
कतरा के निकल जाते है ।
जाने वो कौन हैं
जो हमको सता जाते हैं।
आरज़ू के ही सही
कुछ तो बुलबुले पाए
हर ख़ुशी साथ रही
पर कुछ ज़लज़ले आए।
वैसे इसमें भी
जीने का अलग जलवा है
लोग मिलकर के
तसव्वुर में समां जाते हैं।
जाने वो कौन हैं
जो हमको सता जाते हैं।