नादान मन कस्तुरी सा विचले, तुझसे राहत को मचले, नादान मन कस्तुरी सा विचले, तुझसे राहत को मचले,
चार दिन की जिंदगी को क्यूँ बैर भाव में बिताना है, मिल लो सबसे खुलकर उतारकर अहं का मोह चार दिन की जिंदगी को क्यूँ बैर भाव में बिताना है, मिल लो सबसे खुलकर उतारकर अ...
मैं एक मोहरा हूं जिसकी जैसी मर्ज़ी मुुझको वैसे चला दिया! मैं एक मोहरा हूं जिसकी जैसी मर्ज़ी मुुझको वैसे चला दिया!
इनकी हरकत देखकर, भारत माँ भी लजाई हैं। आपस में ही फूट डालते, ये कैसे अपने भाई हैं। इनकी हरकत देखकर, भारत माँ भी लजाई हैं। आपस में ही फूट डालते, ये कैसे अपने भाई...
वो कब बाज़ी मार गए, हम समझे ना ये बात। वो कब बाज़ी मार गए, हम समझे ना ये बात।
खफ़ा रहे गुल हमसे हमेशा ही काँटों को गले से लगाया गया है। खफ़ा रहे गुल हमसे हमेशा ही काँटों को गले से लगाया गया है।