दर्द
दर्द
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ऐ दर्द तेरी दास्तान है क्या,
ऐ दर्द तेरी ज़ुबान है क्या,
अश्कों में बहे तो तेज़ाब सा लगे,
दिल में चुभे तो नश्तर सा लगे,
मरहम भरे हाथों को तू ले जले,
कोई चाहे तुझसे आँखे मूँद बचना,
कोई चाहे तुझे संजोय रखना,
इश्क़ में तू अपना सा लगे,
गम में तू पराया सा लगे,
कोई तेरी तकलीफ से जागे,
कोई नशे में बेसुरत हो भागे,
पर फिर भी तुझसे पार ना लागे,
नादान मन कस्तुरी सा विचले,
तुझसे राहत को मचले,
भूल की तू उसके भीतर बसा है,
तुझे अपनाना ही तेरी सही दवा है,
क्योंकि तू वक्त की बिसात का वो मोहरा है,
जिसके ना आने का और ना जाने का पता है