तुम कह सकते हो
तुम कह सकते हो
अभी भी कह सकते हो
वो अनकही सी चाहत
जो नज़रों में छुपाये रखते हो,
ना जाने चाह कर भी क्यूँ
उसे दिल में दबाये रखते हो,
लबों पर तुम्हारे जो बात
"काश" से सजाये रखते हो,
उसका इकरार हमारी निगाहों में
जब चाहे पढ़ सकते हो,
अभी भी से कह सकते हो
हाँ, तुम हक़ से कह सकते हो।