कर तो सही
कर तो सही
ज़िन्दगी
एक पल में बदल जाएगी
कोशिशें कर तो सही
सुबह भी आ जाएगी।
क्यों सदा इंतज़ार
करता है दुनिया भर का
तू ज़रा चल तो सही
उम्मीद भी आ जाएगी।
सोच को क्यों
दबाता है पिंजरे में
खुल के तू उड़ तो सही
बादल को ज़रा छू के तो देख।
इतने दशकों से तू
छुप के डरा बैठा है
तू ज़रा हंस तो सही
ख़ुशी भी आ जाएगी।
क्यों लगाता है तू दिल,
राह की तदवीरों से
वो तो मौसम की तरह
आतीं हैं ,चली जाती हैं।
तूने क्या पाया है
उदासी के सख्त लम्हों में
तू शुरू कर तो सही
खुदाई भी आ जाएगी।
ना कोई हार है
दुनिया में बस तजुर्बा है ,
मेरे उस्ताद है शिव
मुझको वो समझाते हैं।
तू भी एक बार
समझ इसको ,जेहन में भर ले
तू ज़रा ग़ौर तो कर
ज़िन्दगी बदल जाएगी।