हंसी
हंसी
बचपन में हंसी कितनी आसानी से आती,
आज मुस्कान भी जैसे झिझक कर आती..
नन्हे बच्चों की हंसी कैसे सब को खुश करे,
वैसी हंसी तो आज कल मुश्किल से ही मिले..
जैसे उम्र बढ़ी वैसे बढ़ी जिम्मेदारी,
रोजगार के चक्कर में रोज़ वही मारामारी..
इस भाग दौड़ में जीना भूल गया इंसान
,भले ही तकलीफ़ हो पर हंसी करे जीना आसान..
बचपन में साथ मिल कर कितना खुल के हंसते थे,
बड़े होकर बस मिलने की बात करते हैैं..
हमारी हंसी और खुशी है सिर्फ हमारे हाथ में,
परेशानी जो भी हो, हौसले से काम लें..
जिंदगी में चाहे कितने भी ग़म आए,
अपनी खुशी को आंसुओं से ना घटाएं..
जोकर जैसे भले ही ना हो हमारी नाक लाल,
पर हंस कर जियो जिंदगी और देखो हंसी का कमाल।
