STORYMIRROR

Dr Hoshiar Singh Yadav Writer

Drama Action Classics

4  

Dr Hoshiar Singh Yadav Writer

Drama Action Classics

सर्दियों में भोजन

सर्दियों में भोजन

4 mins
314

यूं तो ग्रामीण क्षेत्रों में भोजन को अदल-बदल कर खाने की परंपरा है किंतु सर्दियों में भोजन में सेहत का खजाना भरा हुआ है। जितने पौष्टिक फल और सब्जियां, अनाज, खाद्य पदार्थ सर्दियों में मिलते हैं शायद गर्मियों में उतनी अधिक नहीं मिलती। यही कारण है कि सर्दियों में सेहत बनाने वाले युवा आगे आते हैं।

ग्रामीण क्षेत्रों में बाजरे की रोटी चूल्हे पर बनाकर मक्खन के साथ खिलाई जाती हैं। यहां तक कि बथुआ, धनिया, मेथी, पालक, गाजर के पत्ते, मूली के पत्ते आदि कितनी ही हरी पत्तेदार सब्जियां बाजार में उपलब्ध होती है परंतु चने का साग, बथुआ का रायता, मेथी के पराठे, दही, मक्खन आदि की भरमार मिलती है। क्षेत्र में सर्दी आते ही जहां गोंद के लड्डू बनाने की परंपरा शुरू हो जाती है। हर घर में गोंद के लड्डू विभिन्न ड्राई फ्रृूट डालकर बनाये जाते हैं वहीं गाजर का हलवा एवं गाजर पाक मिलता है।

ग्रामीण क्षेत्रों में गर्म दूध के साथ गोंद के लड्डू खाने का विशेष रिवाज है। यहां तक कि 14 जनवरी मकर संक्रांति पर तो चूरमा और दाल अधिक प्रयोग किए जाते हैं। विज्ञान मानता है कि हरी पत्तेदार सब्जियों में खनिज लवण, रेशे एवं जल आदि पाए जाते हैं। संतुलित भोजन में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, वसा, विटामिन, खनिज लवण, रुक्षांस व जल मिलते हैं जो सर्दियों के खाने में उपलब्ध हो जाते हैं। विशेषकर सेहत बनाने का सबसे अच्छा समय सर्दी का होता है।

डाक्टर व वैद्य मानते हैं कि सर्दियों में अनेकों शरीर में बदलाव आते हैं जिसके चलते शरीर में जहां प्रतिरोधक क्षमता पैदा करने के लिए भी इन हरी पत्तेदार सब्जियों,फलों और संतुलित आहार का अहं योगदान होता है वही खाने में बदलाव करके भी रोगों से बचा जा सकता है।

ग्रामीण नेम सिंह, मोहन पार्षद, कृष्ण प्रकाश, राजेश कुमार, बनारसी बवानिया आदि ने बताया कि घर में कोई मेहमान आता है तो उनका आदर सत्कार गोंद के लड्डू से किया जाता है। यहां तक की देसी घी के पराठे अलग-अलग जायकों के बनाकर पालक या बथुवा का दही में रायता बनाकर परोसे जाते हैं। बाजरे की रोटी पर मक्खन एवं गुड़ आदि देकर उनकी सेहत को बढ़ाया जाता है। बच्चे भी इस प्रकार के खाने के लिए लालायित होते हैं। यही कारण है कि सर्दियों में सेहत का राज छुपा हुआ है। ग्रामीण महिलाएं बाजरे की गर्मागर्म रोटी को चूल्हे पर बनाकर मक्खन सहित परिवार को खिलाती है। जहां वर्ष में अधिकांश समय गेहूं का प्रयोग किया जाता है परंतु कम से कम दा महीनों तक बाजरे का प्रयोग जमकर किया जाता है। वैसे भी महेंद्रगढ़ जिले में बाजरा बहुत अधिक पैदा होता है। अब तो सरकार भी वर्ष 2023 को मिलेट वर्ष घोषित कर चुकी है। मिलेट के रूप में दक्षिणी हरियाणा में बाजरा पर्याप्त पैदा होता है। यही कारण है कि सर्दियों में हर प्रकार से खाने में बदलाव किया जाता है। गर्मियों में गेहूं की रोटी पर अधिक बल दिया जाता है छाछ व दूध खाते हैं वहीं सर्दियों में बाजरे की रोटी, मक्खन, घी, दूध, गोंद के लड्डूआदि पर विशेष ध्यान दिया जाता है। गरीब से गरीब परिवार में भी सर्दियों में सेहत के प्रति जागरूकता देखने को मिलती है।

क्या कहते हैं वैद्य एवं डाक्टर-

आयुर्वेदिक मेडिकल आफिसर बाघोत शशी मोरवाल का कहना है कि शरीर में रोग रोधक क्षमता बहुत जरूरी है। सर्दी और जुकाम से बचने के लिए खट्टे फलों की भरमार होती है। ऐसे में सेब,संतरा, नींबू, कीन्नू आदि का प्रयोग अधिक करने से सर्दी जुकाम से बच सकते हैं। खट्टे फलों के अतिरिक्त जहां हरी पत्तेदार सब्जियां शरीर में हर प्रकार से रोग रोधक क्षमता पैदा करती है वहीं गोंद के लड्डू संतुलित आहार सेहत बनाने में अहम भूमिका निभाते हैं।

उधर वैद्य बालकिशन एवं श्रीकिशन करीरा ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्रों में मक्खन पर अधिक ध्यान दिया जाता है। मक्खन को बाजरे की रोटी पर रखकर गुड़ के साथ खाने की भी एक रिवाज है जो उनको सेहतमंद बनाती है। शरीर में अंदर से तंदुरुस्ती तथा रोग रोधक क्षमता उत्पन्न होती है। ऐसे में उन्होंने सर्दियों में अपने आहार में बदलाव करने की जरूरत बताई है। उनका कहना है कि यदि आहार में बदलाव नहीं किया जाए शरीर को नुकसान होता है। उन्होंने बताया कि बाजरा जिस में लोहे की मात्रा बहुत अधिक होती है शरीर के लिए बेहद जरूरी होता है। अब तो बाजरे के विभिन्न पकवान आदि बनाए जाने लगे हैं। अब तो करीरा का महावीर सिंह किसान बाजरे के केक, बिस्कुट, बेकरी का सामान बनाकर नाम कमा रहे हैं।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Drama