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Priyanka Saxena

Tragedy Action

4.5  

Priyanka Saxena

Tragedy Action

खंड खंड उत्तराखंड

खंड खंड उत्तराखंड

3 mins
326


प्रकृति का तांडव प्रचंड,

उत्तराखंड हुआ खंड खंड!

विध्वंसक बना आकाश,

रौद्र रूप धरा मेघों ने,

दामिनी की कड़क से,

आकाश से बरसी प्रलय,

भूधरा हुई विलुप्त।


चट्टानो की आहट से,

मेघों की गर्जन से,

जलमग्न हुई गृहस्थली।

भूमि ने छोड़ा साथ,

झंझावात में उलझी ज़िंदगियाँ।


कण कण जोड़ बना था ठिकाना,

रहा अब ना कोई ठौर।

कर्मभूमि की ये कैसी पुकार,

प्रकृति की घोर मार।


ज़ाग ज़ाग अब तो हे मानव-

खोखले हुए इन पहाड़ो का,

फिर कर पुनर्निर्माण।

वृक्षारोपण दे ज़ीवनदान,

इन फिसलती गिरती चोटियों को।


बहुत खिलवाड़ किया तूने प्रकृति से,

बना कर रख इनका मूल स्वरूप।

कर तू इंसान ये प्रण-

धरा को नहीं बदलेगा

कंक्रीट के जंगल में।


रहेगी तभी यहाँ नैसर्गिक सुंदरता,

क्रत्रिमता तब ना करे निवास।

शुद्ध पावन पवन का हो,

हर स्थान में समावेश।

तब ही ये देव भूमि

सही अर्थों में जागृत हो,

अमृत वर्षा से तन मन

को आह्लादित कर,

इंसानी सभ्यता का रक्षक बन,

मानव ज़ाति को अभिसिंचित कर पाएगी।


आज़ प्रकृति के प्राकृतिक रूप का अभिनंदन कर,

नमन कर वसुधा को, नमन कर हिमालय को।       


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