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Sameer Kumar

Abstract

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Sameer Kumar

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प्यार की लहरें

प्यार की लहरें

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साहिल किनारा कुछ भी कह जाओ

अश्कों के बहाने तुम बह जाओ

एहसास भरे पड़े हैं मेरे अंदर

डूब पड़ा हूं मैं उसके अंदर

सांसे मेरी जब थम जाएगी

साहिल तेरा कहां रह जाएगा

वक्त समंदर बहता जाए 

आंसू तेरे मुझे ढूंढता जाए

साहिल किनारा कुछ भी कह जाओ

साहिल मेरे अब आ जाओ।


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