अपनी दिल्ली
अपनी दिल्ली
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रुपए हैं सिर्फ हजार
मांगू किससे कर रहा विचार
विचार करते-करते कितने
भूखों को मिटा गया।
उफ़! यह बात मैं किसको
बता गया।
यह शहर है बड़े-बड़े
हस्तियों की पर,
यह शहर है गरीबों की
डूबती कश्तीयों की।
जहां लोगों को भूख भी
खरीदनी पड़ती है।
और अपने दिल की बातें
दिल से करनी पड़ती है।
इस शहर में चारों तरफ
रुपए ही रुपए दिखते हैं ।
सच बताओ यारों
कितने की जेब में रहते हैं।