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SUNIL JI GARG

Abstract Classics Inspirational

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SUNIL JI GARG

Abstract Classics Inspirational

शिव ही है चहुँ ओर

शिव ही है चहुँ ओर

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शिव का रूप है पर्वतों में 

झीलों में झरनों में पेड़ों में 

इस भोले मन में बैठा भोला 

देखत जग को झगड़ों में 


मन पर माया का है साया 

प्रकृति को समझ हटेगा वो 

ध्यान जरा सा ध्यान से कर 

नहीं तो फिर भटकेगा वो 


शिव मन में तो मोक्ष मिलेगा 

ग्यानी ध्यानी कहते कब से 

स्वर्ग, नरक, वैकुण्ठ यहीं है 

मन के भीतर गया हूँ जब से 

 

अब सब शिव ही है चहुँ ओर

शक्ति का उनकी हुआ एहसास 

भक्ति का एक परम योग है 

शिव ही हर आती जाती सांस।


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