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Arunima Bahadur

Classics

4  

Arunima Bahadur

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शिव शिवा मिलन

शिव शिवा मिलन

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धारण कर अंतस में शिव,

शिवा बनने की ठानी थी।

ऋषि मुनियों की जुबानी,

 सती की सुनी कहानी थी।।


अखंड तपधारी,व्रतधारी,

वो सती कितनी प्यारी थी।

कितने विघ्न,बाधाओं से,

वह कभी भी न हारी थी।।


राह चुन तपस्या की वो,

चली शिवत्व को पाने को।

अर्धाग्नि पद पाकर थी,

शिव चरनन में जाने को।।


चली घोर वन में वो,

रेत शिवलिंग बनान्य।

तप घोर कर गौरा ने,

शिव का संग पाया।।


हरतालिका तीज व्रत में,

 शिव शिवा को भजते।

निर्जल व्रत कर धारण,

शिवा का तप याद करते।।


शिव शिवा का रूप ये,

कितना अनोखा सा लगता।

शिव भक्त निज अंतस में,

रूप प्यारा धारण करता।।


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