Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

Vandana Srivastava

Classics Inspirational

4.5  

Vandana Srivastava

Classics Inspirational

संवाद

संवाद

1 min
324


हे कृष्ण कन्हैया ! हे मुरलीधर,

यह युद्ध ना मैं लड़ पाऊंगा,

जब युद्ध हो अपनों के विरूद्ध,

बताओ गांडीव कैसे उठाऊंगा,

कैसे देखूंगा मृत्यु शैय्या पर,

अपनों को गिरकर बिछा हुआ,

कैसे मैं उनकी चढ़ा कर बलि,

जीत की ध्वजा लहराऊंगा,

कैसे सहूंगा ग्लानि अंर्तमन की,


कैसे स्वयं को फिर सम़झाऊंगा,

जीत भी गया जो यह रण मैं,

फिर भी हारा हुआ ही आऊंगा,

चहुं ओर मच रही त्राहि त्राहि,

में स्वयं को घिरा हुआ पाऊंगा,

जब धिक्कारेगा हृदय मेरा,

क्या मैं पापी नहीं कहलाऊंगा..!!


सुनो सुनो हे पार्थ! महारथी,

संशय भीतर तो उचित ही है,

किंतु जो हुआ भरी सभा में,

क्या वो अनुचित नहीं है,

नारी का अपमान कर गये,

चीर उसका हरने लग गये,

मूक बैठे थे सारे सज्जन,


अ़धरों पे पसरा था सबके मौन,

यह युद्ध है नारी के अपमान का,

दिलाना होगा हक सम्मान का,

पापी को यह याद दिलाना होगा,

घट भरा पाप का फूटना ही होगा,

पाप का फल भी सम्मुख आता है,

जब विनाश काल समक्ष आता है ,

मैं हूं ब्रह्मांड मैं ही हूं तीनों लोक,


सब मुझमें ही समा जाते हैं होकर विलोप,

मैं हूं तुम्हारा सारथी पाप पुण्य सब मुझसे है,

होता है जो विश्वास निर्मित वो मुझसे है,

कर्म सर्वोपरि है तुम बस कर्म करते चलो,

मैं हूं सारथी मुझ पर विश्वास पूर्ण करो,


है यह समर की बेला केवल सत्य असत्य का भान रहे,

रिश्ते नाते सब मिथ्या हैं उनका ना कोई मान रहे,

मैं जग का सारथी अब रण में साथ निभाऊंगा,

जीतेगा सत्य ही मैं अपना वचन निभाऊंगा..!


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Classics