हदों का मंज़र......!!
हदों का मंज़र......!!
हदों का मंज़र..
अभी बाकी है...
ए-दिल तेरा इंतज़ार..
अभी बाकी है।
वो करीब हरेक लम्हा..
फ़ासलो के दीदार बाकी है..
आँखो मे बन के रोशन..
वो ख्वाब अभी बाकी है।
खामोशियो का सरताज़..
दिल का शोर अभी बाकी है..
ख्वाहिशो के मौसम की...
वो बरसात अभी बाकी है.।
नाराज़गी फिज़ा मे..
बहार आना बाकी है...
फ़िकी सी मुस्कुराहट मे..
वो शाम आना बाकी है..!!
धड़कते दिल का एतबार..
साँसो का करार बाकी है...
रुह मे उतरे बन के वफ़ा
वो इश्क की खुदाई बाकी है...!!
वक्त की रफ्तार में..
किस्मत का आना बाकी है..
नंदिता के लम्हों में क़ैद हो..
वो ज़िंदगी को जीना अभी बाकी है...!