STORYMIRROR

Indira Tiwari

Abstract Inspirational

3.8  

Indira Tiwari

Abstract Inspirational

समय छिपकली

समय छिपकली

1 min
1.0K


दिन में जगती 

रात में सोती, 

समय पे रुकती 

समय पे चलती।


कभी दिखे तो

कभी है छुपती, 

लुका छिपी में

दिन भर खपती। 


लटकी छत को 

नापा करती, 

बिना गिरे ही 

सियापा करती। 


नज़र कभी जो 

पड़ेगी इस पर, 

अच्छा समय 

टपकेगा तुम पर। 


सारे शुभ मंगल

तुम्हारे होंगे,

"समय छिपकली"

दिख जाएगी जिस पल! 


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract