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Surendra kumar singh

Tragedy

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Surendra kumar singh

Tragedy

छांव है गर्म यहाँ

छांव है गर्म यहाँ

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छांव है गर्म यहां

आ कहीं और चलें।

जाने ये किसका असर

कि जल रहे हैं शहर

जिधर भी जाओ मिले

एक नफरत की खबर,

चटख रहा है गगन

भटक रही है दिशा,

उबल रही है ज़मीं

उमस भरी है हवा,

गली गली में धुँआ

सड़क है अंधा कुँवा,

चलते फिरते बुतों की बस्ती है

सभी की अपनी अपनी मस्ती है।


हमे जाना है कहाँ

किसे खबर है यहाँ,

आंख आंसू की जगह

उगलती जहर यहाँ,

जहर दवा की तरह

बना है धर्म यहाँ,

शाम हंसती है यहाँ

सिसकती सुबह यहाँ,

खुशी जलती है यहाँ

हंसी मिलती है कहाँ,

जाने ये कैसा जहाँ

कैसे रहते हो यहाँ

पांव जलते हैं यहाँ,

पांव जलते हैं यहाँ

आ कहीं और चलें।



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