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vipul jain

Drama

4  

vipul jain

Drama

बचपन से पचपन तक अनुभुति

बचपन से पचपन तक अनुभुति

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बचपन गुजरा बहुत खुशी से, 

खेलते थे दिनभर मस्ती से, 

ना कोई टेन्शन था बचपन में, 

अपने ही मन की करते थे शान में।


टीवी, मोबाइल नही था तब, 

पढ़ाई करना, खेलना, दिमाग में घुमता तब, 

शरारते करना, एकदूसरे को चिढाना,

चलते चलते दफ्तर लेकर स्कूल जाना।


टीचर, प्रिन्सिपल की करते थे आदर, 

उनके लिए मन में था अजीब सा डर, 

घर में मम्मी पापा का हाथ बँटाते,

दादा दादी का कहा हुआ मानते।


धीरे-धीरे बडे हो गये,जवानी ने दी दस्तक, 

कोलेज हो गया, रिश्ते के लिए आने लगी दस्तक, 

शादी की बाते होने लगी घरमें, 

गजब की हलचल होती थी मनमें।


रोज रिश्ते के लिए बाते होने लगी, 

ज्योतिष के घर दिखाने लगे कुण्डली, 

आया एक रिश्ता मेंरे लिए, 

नक्षत्र, कुण्डली मिल गई उनसे।


शादी हो गई 22 की उम्र में, 

बंध गए 7 जन्मों के रिश्ते में, 

ससुराल मिला बहुत ही बड़ा और बढिया, 

एकत्रित कुटुंब की वजह से बढ़ी जिम्मेदारियाँ।


घूमने जाते थे बहुत ही कम, 

घर में काम रहता था हरदम, 

इसी दौरान बन गई मैं माँ, 

जिम्मेदारी बढ़ी और बन गई मैं 2 बच्चों की मां।


बच्चों की देखभाल करना, स्कूल भेजना, 

उनके संस्कारों पर ध्यान देना, 

इनकी खर्चो की वजह से दब गए सपने, 

लगा ये भी तो है अपने।


जवानी के जोश बहुत काम किया, 

काम कें जोश में शोक कम किया, 

हमेंशा सोचते बच्चों के भविष्य के बारे में, 

उनके लिए विचार करते करते खुद को भुल गए।


धीरे-धीरे bank balance घटने लगा, 

बच्चों की इच्छा ओ का भार बढ़ने लगा, 

बच्चे भी हो गये बडे कमाने लायक, 

शादी कर दी इनकी, बहू लाये परिवार लायक।


बहू का राज चलने लगा घर में, 

हम डर डर कर जीने लगे घर में,

बेटा भी उससे डरता है , 

उसे कुछ भी कहने से कतराता है। 


दवा के लिए फैलाने पडे हाथ, 

बहु कहती है आप भी बटाओ हाथ, 

मेंरा पति अकेला कमाता और आप खाते, 

अपने लिए आप क्यो नही कमाते।


वृद्धा श्रम जाने की कर ली तैयारी, 

रोज ताने से तो अच्छा, घर में रहेगी शांति।

नाते पोतीयाँ भी आते नही पास, 

मोबाइल टीवी में करती है टाईम पास।


बेटी भी चली गई विदेश में, 

उससे बाते होती विडियो कॉल में, 

देखना है इनका सुखी संसार, 

इसके लिए जाना है वृद्धाश्रम के द्वार।


अब याद आते है वो दिन सुनहरे,

जब एक एक पैसा बचाया बच्चो के लिए, 

अभी बच्चे भी ताने मारने लगे, 

क्या करना जब अपने ही सिक्के झूठे निकले।


बचपनसे जवानी तक सुनहरा सफर,

जवानी सें बच्चों की शादी तक मेहनत का सफर

हालत बुरी हो गई पचपन उम्र तक,


भगवान को ही याद करते दिन से रात तक।

बीवी सें बोला मैने

चल हाथों में हाथ पकड़ कर,एक दूसरे का साथ निभायेंगे,

साथ नहीं छोड़ेगे हम, मरते दम तक साथ निभायेंगे।


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