कभी धूप सी
कभी धूप सी
कभी धूप सी
कभी छांव सी
कभी हवा सी
बदलती ज़िन्दगी
दिल की जमीं पर
उगता रेगिस्तान
सुलगता बंजर सा
आँखों के सूखे सावन
पानी उतार लाते
बादल से थोड़ा
सींचते दग्ध रेत
मन के मरुस्थल की
उगता कोई पेड़ हरा
छाँव देने को
उर्वरा बनाने को
बंजर जमीं
