ब इरादा
ब इरादा
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जो ब इरादा हुआ, दिल ऐ मुज़्तर हुआ
एक किताब, मेरी बज़्म से उठ गयी
ऐ शोहरत तुझे कौन मयस्सर नहीं
एक मेरे दर से, तू ख़ाली गयी
ज़रूरत तेरे अन्दाज़, अच्छे ना थे
फ़क़ीरी गयी तो इबादत गयी
हटा लो मेरे पास से हर क़लम
अब तो ज़ाहिर है सब, पर्दादारी गयी
शीशा गिरी अब छोड़ दी यारों
वो अदा भी गयी वो आदत भी गयी
सुना है आसमां तक सफ़र मुमकिन है
सुना है रात कोई सड़क पे जान गयी