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Dr Javaid Tahir

Tragedy

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Dr Javaid Tahir

Tragedy

बेबसी

बेबसी

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बेबसी, क्या शाख़ ए ज़रीं से उड़ जाएंगे

आ बैठ, हंस, चहचहा, वरना मर जाएंगे 


ये भी नहीं वो भी नहीं क्या चाहिए कुछ भी नहीं 

दवा, ज़हर, शहद, छोड़ दो अपने घर जाएंगे 


मैं ख़बर मैं तो हूँ पर बेख़बर भी तो हूँ 

चलो, दोस्तों के घर जाएंगे 


यही हाल रखना था, क्यूँ लाए गए 

ये आने जाने से तो थक जाएंगे 


हवा, धूप, सर्दी, गर्मी, बारिश, बर्फ़ 

करो दिल्लगी, हम तो सो जाएंगे


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