फिर वही
फिर वही


वो तेरी बात और मेरा रुकना
सांस आना सांस का रूकना
शोर करता रहे ज़माना कोई
मेरी किस्मत और तेरा सजना
ये कहां है कि रंगों बू न मिले
गुल को आता नहीं जफ़ा करना
वक़ते मग़रिब में याद आयी तेरी
आसां नही कज़ा भी पढ़ना
वक़्त को टांग दूँ छींके सा कहीं
याद को तेरी शहद सा चुन्ना
हुई मुद्दत अब तो सजदा करूँ
सांस को आता नहीं वफ़ा करना
ज़हर उसमें, जो ज़हरीला हुआ
मेरे काटे से तू कहां मरना
शहर छोड़ दूँ ये ना मुमकिन हुआ
मुद्दत हुई , उम्मीद न मिटना
अब आओगे, या ना के आओगे
वही जावेद, और वही रटना