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Jyoti Bhashkar Jyotiragamaya

Inspirational

4.1  

Jyoti Bhashkar Jyotiragamaya

Inspirational

दिवास्वप्न

दिवास्वप्न

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पावन दिवस पर आज 

जी  करता है यूँ

गगन सारा चूम लूँ

सहस्र इंद्रध़नुष तेरे

आँचल में भर दूँ !

पावन ----------------


इठला के,बलखा के

सर पे चलूँ  हवा के

राष्ट्रगान लिखूँ घटा पे

तारों की बारात सजा के

चाँद-सूरज सा बिंदिया

तेरे माथे पे लगा के

दुल्हन तुझे बना के

त्रिरंग डोली में बिठा के

जग में धरा तेरा

नाम करूँ,सम्मान करूँ

स्नेहिल तस्वीर तेरी

आँखों में कैद कर लूँ !!

पावन -------------------


नदियाँ- झरनों से

मीठे तान उधार लूँ

बरखा- बहनों से

रिमझिम पायल पुकार लूँ

दुधिया- परियों के

जादुई पंख उपहार लूँ

नानावर्ण तितलियों से

नाना

 रंग जुगाड़ लूँ

साँची साँची दर्पणों में

चमनों से तेरा श्रृंगार करूँ

समस्त धरा की मेंहदी

हाथों में तेरे संवार दूँ

जयगान करूँ,गुणगान करूँ

कायम तेरी नई पहचान करूँ

दिक् - दिगंत तक

आदि -अनंत तक

कोकिल बन अनंत तक

कोकिल कंठ स्वर दूँ !!!

पावन ---------------------


अभिलाषा है अब एक

जन्म लूँ ,यदि  अनेक 

पाऊँ सदा गोद तेरा,

हरा-भरा रहे वतन मेरा,

मन-मंदिर में तुझे बसा लूँ

क्रांति-अलख जगा दूँ

भेदभाव सारे मिटा दूँ

घृणास्पद काई हटा दूँ

प्रहार करे,दुष्ट संहार करे

वो सबल कृपाण बनूँ

आन बनूँ तेरा शान बनूँ

दीपक बन फैलाऊँ उजाला

जीवन के सारे तम हर लूँ !!!!

पावन -------------------------


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