हमारी आज़ादी हमारा त्योहार
हमारी आज़ादी हमारा त्योहार
आज वह दिन आ गया जिसका सबको बेसबरी से इंतजार था,
पूर्वजों का दिया वो हमारे लिए सबसे बड़ा उपहार था,
माटी के हर कण द्वारा उनको सिर्फ प्यार का इजहार था,
माना औरों के लिए ये कोई मायने नहीं,
पर हमारे लिए यह हमारा स्वतंत्रता का त्यौहार था।
फिरंगियों के लिए होगा यह पैसों का व्यापार
मगर क्रांतिकारी और स्वतंत्रता के बीच तो सिर्फ शहादत और लहू का व्यापार था,
बलिदान ही एकमात्र स्वतंत्रता का आसार था,
जो झूल गए फंदे भी फांसी के मुस्कुराकर वतन के प्रति उनका ये बेइंतेहा प्यार था,
उनके लिए तो अपने प्राणों से बढ़कर सिर्फ स्वतंत्रता का दीदार था।
जिनका नाम प्रख्यात नहीं आज़ादी में उनका भी बलिदान था,
जिसने खाईं सीने पर गोली वह हमारा ही एक जवान था,
रुक ना पाए बहते ही चले गए यह आंसू
देखकर जो लगन का परिणाम था,
सलाम है उस दिल को जो दिल सिर्फ देश के लिए कुर्बान था ।
छाती चीर कर भी दिख जाए तिरंगा सीने में ऐसे विराजमान था,
प्राणों से बढ़कर जिनको तिरंगे का सम्मान था,
गुलामी के दिन हुए खत्म
अब तो सिर्फ आजादी का फरमान था,
और उस पल से तो यह सिर्फ हमारा अपना हिंदुस्तान था।
अपने प्राण गवा कर दिखा गई यह दिन उन्हें तहे दिल से सलाम है,
भुला पाना उनको एक नामुमकिन सा काम है,
सौ जन्म भी कम पड़ जाएंगे यह कर्ज चुकाने को
पर एक वादा जो आप सभी का अरमान है,
पूरा हुआ है आज क्योंकि दिल में बसा है तिरंगा और जुबान पर सिर्फ़ हिंदुस्तान का नाम है ।
गर्व है एसी बलिदान भरी धरती पर पैदा होकर,
नहीं जाऊँगी अपनी माटी को कही छोड़कर,
होना चाहती हूँ इसकी मिट्टी में ही दफन,
करती हूँ बस यही अरमान की तिरंगा बने मेरा कफन ।।