कोई तो हो जो...
कोई तो हो जो...
कोई तो हो जो मेरे सच को भी झूठ से देखे,
मनाऊँगी उसे या नहीं ये जानने के लिये वो मुझसे रूठ से देखे,
जान रख दूँ हथेली पर दोस्त के लिए
मगर कोई तो हो
जो दिल से बस एक बार मेरा हाल पूछ के देखे।।
कोई तो हो जो मेरे सच को भी झूठ से देखे।।
बात छिपाऊँ कोई तो तिरछी नजरों में यूँ शक से देखे,
कोई हो अपना जो मुझे भी अपने दोस्त के हक से देखे,
माना की मैं इतना घुल्ती मिलती नहीं
मगर कोई हो
जो मेरी खमोशी की पहेलियाँ बूझ के देखे।।
कोई तो हो जो मेरे सच को भी झूठ से देखे।।
कि ठीक हूँ सुनकर अच्छा तो सभी कहते हैं,
मगर कोई हो जो हकीकत की गहराई भांप के देखे,
मेरे मन में चल रहे तूफान के कहर को कोई नाप के देखे,
मैं दोस्त के लिए बिखरने को तैयार हूँ
मगर कोई हो
जो मुझे जोड़ने के लिए खुद टूट के देखे।।
लुटा कर प्यार मुझपे मेरा दिल लूट के देखे।।
कोई तो हो जो मेरे सच को भी झूठ से देखे।।